(रीतिका एस. वोहरा)डाॅ. अर्जुन सिंह और डाॅ. रीना पीजीआई रोहतक में काेविड-19 के लिए 24 घंटे की ड्यूटी कर रहे हैं। उनकी ढाई साल की जुड़वां बेटियां अर्निका और अरणवी अपने दादा डॉ. राजपाल सिंह और दादी के पास अम्बाला में रह रही हैं। डॉ. राजपाल सिंह जीएमएन कॉलेज के प्रिंसिपल हैं। 23 मार्च को डॉ. दंपती अपनी बच्चियों से मिलने के बाद ड्यूटी के लिए रोहतक गए थे।
तब से लेकर अब तक दाेनाें ही अपनी बेटियों से नहीं मिले हैं। अब तो व्यस्तता इतनी बढ़ गई है कई बार तो पूरा दिन बेटियों से बात भी नहीं कर पाते हैं। डाॅ. अर्जुन एनेस्थिसिया एंड क्रिटिकल केयर स्पेशलिस्ट हैं। 2 साल से रोहतक पीजीआई में सीनियर रेसिडेंट के पद पर हैं। डाॅ. रीना पीजीआई से पाेस्ट ग्रेजुएट की आईएनटी की फाइनल ईयर की स्टूडेंट हैं और अब उनकी ड्यूटी आइसोलेशन वार्ड में सैपलिंग के लिए लगी हुई है।
बेटियों को याद करके दिल भर आता है, मगर औरों के सामने रो भी नहीं सकती
हमें जब भी वक्त मिलता है तो सबसे पहले अपनी बेटियों से बात करते हैं। रात को बेटियां सोने से पहले उनसे बात जरूर करती हैं। अभी दो दिन पहले सुबह 6 बजे घर से मम्मी का कॉल आया कि जल्दी वीडियो कॉल कराे। हम घबरा गए कि आखिर क्या हो गया। जब कॉल किया तो पता चला कि उनकी बेटी नींद में उठकर रोने लगी कि मम्मी-पापा के पास जाना है। मम्मी-पापा को बुलाओ। वाे चुप ही नहीं हो रही थी। हमने खूब पुचकारा तब जाकर चुप हुईं। वाे पल ऐसा था जब हमें लगा कि क्या हम अच्छे पेरेंट्स नहीं है। अब 27 दिनाें से बेटियों से दूर हूं।
फ्रेंड्स को कई बार कहती हूं कि मुझे एनर्जी चाहिए कि बेटियों को एक मिनट के लिए मिलकर और उन्हें जीभर कर गले लगाकर वापस ड्यूटी पर आजाऊं। बच्चाें के दादा-दादी बहुत प्यार कर रहे हैं बेटियों काे, लेकिन कई बार पेरेंट्स हाेने के नाते दिल भर आता है। राेना भी आता है पर आंसू सबके सामने दिखा नहीं सकते। पता नहीं कितना वक्त यह परिस्थितियां रहेंगी। विश यह वक्त जल्दी ठीक हो जाए।-डाॅ. रीना
डॉक्टर होने के नाते ड्यूटी काफी टफ
यहां काेविड 19 पेशेंट्स के बीच में ड्यूटी लगी हुई है। जिनकी ट्रेवल हिस्ट्री है या जिनकाे सांस की समस्या है, उनके सैंपल लेते हैं। इनमें से कई पाॅजिटिव केस भी हाेते हैं। उन पेंशेट्स की सैंपलिंग के बाद खुद को 14 दिनाें के लिए क्वारेंटाइन करना पड़ता है। नाॅर्मल लाेगाें के बीच में भी नहीं जा सकते। प्राेटेक्शन पूरी मिली हुई है। पीपीटी किट पहनते हैं। उसके साथ 3 ग्लब्स पहनते हैं। कई बार ऐसा हाेता है पेशेंट सैंपल लेने के दाैरान वाॅमिट कर देता है तो उसके कुछ काॅम्पाेमेंट हमारे ऊपर भी आते हैं। 12 घंटे किट पहननी हाेती है ऐसे में किट की कमी के कारण चेंज भी नहीं कर सकते। पूरा दिन स्टैच्यू की तरह फर्ज निभाते हैं।
घबराएं नहीं, सिर्फ सावधानी रखें
- अगर घर के किसी काम से बाहर जाना है तो केवल घर का फिट व्यक्ति ही जाए।
- यह इतनी बड़ी बीमारी नहीं है जाे हम समझ रहे हैं जरूरत है तो सिर्फ सावधानियां रखने की।
- यह मत साेचे कि यह सिर्फ बुर्जुगाें को हाेती है, जिन लाेगाें की इम्युनिटी कमजाेर है या किसी तरह की डिसीज है उनकाे भी ख्याल रखने की जरूरत है।
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